राज्य में जिला प्रशासन व आम लोगों की लापरवाही के कारण कोरोना के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए सख्ती जरूरी है। दिसंबर में यह सख्ती नहीं की गई। इसी वजह से कोरोना के मामले जनवरी में तेजी से बढ़े हैं। इतनी तेजी से बढ़े है कि सरकार व जिला प्रशासन ने उम्मीद नहीं थी। जिला प्रशासन को मालूम था कि 29 दिसंबर से मामले 100 से ऊपर चले गए हैं।यहां जिला प्रशासन ने लापरवाही की। नववर्ष के आयोजनों पर रोक नहीं लगाई। बड़ी संख्या मेंं लोग घरों से बाहर निकले। इसी का परिणाम है कि कोरोना के मामले 30दिसंबर को 150,31 दिसंबर को 190 मामले आए। 1 जनवरी को 279,2 जनवरी को 290 व 3 जनवरी को 698 मामले आए। जिस तरह तीन दिन में कोरोना के मामले कई गुना बढऩे पर मुख्यमंत्री ने आपात बैठक बुलाकर कलेक्टरों को कोरोना के मामले रोकने के लिए जो भी जरूरी है वह सब कदम उठाने को कहा है। सीएम भूपेश बघेल ने यह स्पष्ट किया है सरकार कोरोना नियंत्रण के लिए गैर कमर्शियल गतिविधियों पर सीमित या पूरी तरह रोक लगाने की पक्षधर है। यह अच्छी बात है। इससे कमर्शियल गतिविधियों पर रोक नहीं लगेगी। इसका फायदा यह होगा कि पिछली बार की तरह अर्थव्यवस्था पर बुरा असर नहीं पड़ेगा। पिछली बार के लाकडाउन का देश व राज्य की अर्थव्यवस्था पर जो बुरा असर पड़ा था , उससे अब अर्थव्ववस्था उबर रही है। ऐसे में यदि लाकडाउन लगा दिया जाए तो इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा. सरकार ने कलेक्टरो से कहा है कि कोरोना के जहां ज्यादा मामले हैं नाइट कर्फ्यू,धारा 144 सहित जो भी सख्त कदम उठाने पड़े,उठा सकते हैं। आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि छत्तीसगढ़ में कोरोना को रोकने के लिए किस जिले मे क्या कदम उठाए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा मामला राडधानी में मिल रहे है इसलिए यहां कोरोना को रोकने के लिए सख्त कदम उठान की सबसे ज्यादा जरूरत है। कोरोना के मामले तीन दिन में जिस तेजी से बढ़े हैं,वह सबकी लापरवाही के कारण ही बढ़े हैं। कोरोना को रोकने के लिए जरूरी है कि जिला प्रशासन भी सजग रहे और आम लोग भी सजग रहे, कोरोना से बचाव के नियमों का खुद पालन करें तथा दूसरों को भी पालन करने के लिए प्रेरित करें।