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खतरनाक नक्सली हिड़मा के करीब पहुंची फोर्स….अंदरूनी इलाकों में और कैंप खोले जाएंगे

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छत्तीसगढ़ के बस्तर में अब जल्द ही नक्सलियों का खात्मा किया जाएगा। खूंखार नक्सली कमांडर हिड़मा और उसकी बटालियन नंबर 1 के ठिकानों से फोर्स बस अब कुछ ही कदम दूर है। पिछले कुछ सालों में हिड़मा के गढ़ तक धीरे-धीरे फोर्स पहुंच चुकी है।

कई कैंप स्थापित किए गए हैं। अब आने वाले दिनों में भी अंदरूनी इलाकों में कई कैंप स्थापित किए जाएंगे। ऐसा बताया जा रहा है कि, हिड़मा और उसकी बटालियन के खूंखार नक्सलियों को एनकाउंटर में मारा जाएगा या फिर उसे सुकमा-बीजापुर के जंगल से खदेड़ा जाएगा।

दरअसल, पुलिस ने बस्तर संभाग का एक मैप तैयार किया है। इस मैप में बस्तर संभाग के सारे जिलों को कलर कोड से दर्शाया गया है। हालांकि, इन कलर कोड का कोई नक्सल एंगल नहीं है। मैप के माध्यम से यह बताया गया है कि, अब खूंखार नक्सली हिड़मा और उसकी बटालियन अब फोर्स से कितनी दूर है। कैसे जवान नक्सलियों तक पहुंच कर उनका खात्म करेंगे। पुलिस फोर्स सुकमा और बीजापुर जिले के सरहदी इलाकों में हिड़मा की बटालियन को घेर रही है। उधर, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की फोर्स भी नक्सलियों को घेरकर मार रही है।

अबूझमाड़ में छिप सकता है

इंटेलिजेंस के एक अधिकारी ने दैनिक भास्कर को बताया कि, यदि आने वाले समय में सुकमा और बीजापुर जिले के जंगलों में किसी तरह हिड़मा को घेरा जाता है और वह बचकर निकलता है तो वह अपनी पूरी बटालियन के साथ नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में छिप सकता है। अबूझमाड़ का घना जंगल उसके लिए बेहद ही सेफ जोन होगा। क्योंकि, क्षेत्रफल की दृष्टि से इलाका काफी बड़ा है। अबूझमाड़ के जंगल में फोर्स की पकड़ भी कम है। अबूझमाड़ की तुलना में बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा को काफी हद तक कैप्चर कर लिया गया है।

कैंप खुले तो NH से जुड़े कई मार्ग

दरअसल, पोस्ट ने जो मैप तैयार किया है उसमें यह भी दर्शाया गया है कि बस्तर के जिन जिन संवेदनशील इलाकों में फोर्स के कैंप खोले गए हैं वहां पर सड़कों का जाल भी बिछाया गया है। आवागम शुरू हुआ है। इनमें सिलगेर, जगरगुंडा समेत कई ऐसे इलाके हैं, जहां पहले ग्रामीण जंगल के रास्ते पैदल सफर तय करते थे। लेकिन जवानों की सुरक्षा के बीच सड़कों का निर्माण किया गया है। अब पहली बार इन इलाकों में यात्री बसें भी शुरू कर दी गई है। नेशनल हाईवे से सड़कें जुड़ी है। पुलिस का मानना है कि जिन गांव तक पक्की सड़क पहुंच रही है उन गांव तक विकास भी पहुंच रहा है और वहां से नक्सलियों को खदेड़ा जा रहा है।

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