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बच्चों की रूचि को पहचानकर कैरियर चुनने के लिए दें मार्गदर्शन: स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. दासन

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स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. एस भारती दासन ने कहा कि शिक्षक बच्चों को अपने कैरियर का चुनाव करने के लिए उनकी रूचि को पहचाने और मार्गदर्शन करें। डॉ. भारती दासन ’उजियारा ’ कैरियर मार्गदर्शन एवं परामर्श कार्यक्रम के तहत राज्य से चयनित मास्टर ट्रेनर के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. एस भारती दासन और प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा श्रीमती इफ्फत आरा उजियारा कार्यक्रम का शुभारंभ भी किया। राज्य स्तरीय कार्यक्रम के शुभारंभ के पश्चात जिलों एवं स्कूलों में कार्यक्रम का संचालन होगा जिसमें प्रत्येक हाईस्कूल एवं हायरसेकेण्डरी स्कूल से एक-एक शिक्षक का कैरियर काउंसलर के रूप में चयन कर उन्हें मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शासकीय स्कूलों के बच्चों के कैरियर के चुनाव एवं उज्जवल भविष्य के निर्माण से संबंधित था। कार्यशाला में 500 कैरियर कार्ड से संबंधित रिव्यू एवं चर्चा हुई। कार्यशाला का आयोजन यूनिसेफ और समग्र शिक्षा द्वारा 19 से 22 जून तक संयुक्त रूप से किया गया। कार्यशाला में राज्य से चयनित 66 हाईस्कूल और हायरसेकेण्डरी के शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण दिया गया।

स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. एस भारती दासन ने कार्यशाला में उपस्थित मास्टर ट्रेनर शिक्षकों से कहा कि बच्चें अपने आसपास में जिनके संपर्क में आते हैं वे उसी को अपने कैरियर के लिए चुन लेते हैं, जैसे- डाक्टर, शिक्षक, पुलिस इत्यादि। उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को उनके कैरियर के चुनाव के लिए अलग-अलग विकल्पों के बारे में चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक के रूप में आप सब की यह भूमिका होनी चाहिए कि दसवीं के बाद विषय का चुनाव और बारहवीं कक्षा के बाद बच्चों को अपने कैरियर के चुनाव करने केे लिए उनकी रूचि को पहचाने तथा मार्गदर्शन करें।
स्कूल शिक्षा सचिव ने कहा कि ज्यादातर बच्चों को विज्ञान या गणित विषय का चुनाव कर डाक्टर या इंजीनियर बनने का सुझाव दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कला (आर्ट्स) विषय के माध्यम से भी बच्चें अपने कैरियर का चुनाव किन-किन क्षेत्रों में कर सकते हैं, इसकी जानकारी बच्चों को देना आवश्यक है। बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता क साथ भी चर्चा करना आवश्यक है, जिससे बच्चों की रूचि एवं भविष्य में उनके द्वारा चयन किए जाने वाले कैरियर के बारे में चर्चा हो। माता-पिता को उस बात के लिए भी प्रेरित करना आवश्यक है कि वह अपनी इच्छा को बच्चों पर न थोपें बल्कि बच्चों की रूचि को ध्यान में रखते हुए उनका सहयोग करें।

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