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रूस-सऊदी अरब की तेल प्रतिस्पर्धा में भारत को होगा बड़ा फायदा, जानें कैसे बने ये नए समीकरण

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रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं. एशियाई देशों ने उससे सीधे तेल की खरीद बंद कर दी है, लेकिन भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है. रूस भी काफी रियायतों के साथ भारत को तेल बेच रहा है. जिसका भारत को सीधा लाभ तो हो ही रहा है, लेकिन इससे सऊदी अरब को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब ऑयल मार्केट में रूस के बढ़ते दबदबे से मुकाबला करने के लिए सऊदी अरब ने भी एशियाई खरीदारों के लिए क्रूड ऑयल की कीमतों में कटौती की है. भारत भी एशियाई देश है और इसका लाभ भारत को भी मिलने की पूरी उम्मीद है.

दरअसल, रूस जिन देशों को रियायती कीमतों पर कच्चा तेल निर्यात करता है, उनमें ज्यादातर एशियाई देश हैं. सऊदी अरब के साथ रूस भी दुनिया में तेल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. यूक्रेन से जंग शुरू करने के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देश रूस के खिलाफ हैं और उन्होंने आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया है. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत को एक प्रतिशत से भी कम तेल निर्यात करता था, लेकिन रूस आज सऊदी अरब, इराक और यूएई जैसे देशों को पछाड़ते हुए भारत के लिए नंबर 1 तेल निर्यातक देश बन चुका है.

सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमत में कटौती की
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के शीर्ष तेल निर्यातक देश सऊदी अरब चार महीनों में पहली बार एशियाई खरीदारों के लिए कच्चे तेल की कीमत में कटौती की है. सऊदी तेल कंपनी सऊदी अरामको की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक जून में लोड होने वाली अरब लाइट ग्रेड के तेल की कीमत मई की तुलना में 25 सेंट प्रति बैरल कम कर दी गई है. हालांकि, यह कटौती भी बाजार की अनुमानित कटौती 40 सेंट से कम है.

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